Hindi Short Film: 20 दिन तक एक कमरे में बनाई 45 मिनट की शॉर्ट फिल्म | अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में मचा रही धूम

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    नई दिल्ली। कोरोना काल में सब लॉकडाउन के कारण सबकुछ बंद था। उस समय दिल्ली में पढ़ रहे महाराष्ट्र के एक युवा ने अपने छोटे से कमरे में 45 मिनट की शॉर्ट फिल्म (Hindi Short Film) मेलफिमेल बनाई। स्त्री-पुरुष समानता को लेकर बनाई गई इस फिल्म को बनाने में 20 दिन का समय लगा। जबकि इस फिल्म की लागत 60 हजार रुपए आई। इन दिनों इस फिल्म ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में धूम मचा रही है। इस फ़िल्म ने कई पुरस्कार भी प्राप्त किए है।

    दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में पढ़ रहे महाराष्ट्र के धुले के छात्र भूषण संजय पाटील लॉकडाउन के बाद अपने छोटे से रुम में रहने लगे। यहां खाली बैठे इन्होंने कोरोना काल में लोगों पर पड़ रहे इफेक्ट व स्त्री-पुरुष समानता को लेकर स्क्रिप्ट लिखी। फिर इस पर ख़ुद ही फ़िल्म बनाने का निर्णय लिया। अपने कमरे में ही डार्क रुम बनाया और शूटिंग शुरू की। शूटिंग के लिए जरुरी कुछ चीजें मुंबई से मंगवाई। अपने दोस्तों के साथ 20 दिनों तक शूटिंग करता रहा। इस पर 60 हज़ार रुपए खर्च हुए और 45 मिनिट की शॉर्ट मूवी बनकर तैयार हो गई। इसके बाद इसे एक जनवरी को ओटीजी प्लैटफार्म पर रिलीज कर दिया गया।

    भूषण पाटील की इस फिल्म को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 9 फ़िल्म फेस्टिवल में दिग्दर्शक, निर्माता, लेखक की तौर पर नॉमिनेशन किया। फ़िल्म की संकल्पना, संवाद, साऊण्ड, कास्टिंग के बलबुते पर यह फ़िल्म अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल में धूम मचा रही है।

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    इस फिल्म को उत्कृष्ट दिग्दर्शन, उत्कृष्ट संगीत और उत्कृष्ट डेब्यु डायरेक्टर ऐसे तीन पुरस्कार मिले है। स्टॅण्ड अलॉन्स फ़िल्म फेस्टिवल लॉस एंजलिस का पॉप्युलर फ़िल्म पुरस्कार भी मिला है। बाक़ी सांत फ़िल्म फेस्टिवल में यह फिल्म पुरस्कार की दौड़ में अन्य फिल्मों से कहीं आगे चल रही है।

    हिन्दी भाषा में है फिल्म (Hindi Short Film)

    इस फ़िल्म में करिश्मा देसले व तेजस महाजन मुख्य भूमिका में है। यह फ़िल्म हिन्दी भाषा में है उसकी स्क्रिनिंग अंग्रेज़ी भाषा में है। फ़िल्म की पटकथा, दिग्दर्शन और निर्माण भूषण पाटील का है।

    यह है फ़िल्म की कहानी

    फिल्म में फिलोसॉफर पति लॉकडाउन के कारण एक साल से बेरोजगार होने से वह निराश है। परंतु उसकी कम पढ़ी-लिखी पत्नी को रोजगार मिला है। उसी की कमाई पर घर चल रहा है। पत्नी खर्चे कम कर नये घर का सपना देखती है। साथ ही बेरोजगार पति को नौकरी दिलाने के लिए प्रयत्न करती है। लेकिन पत्नी की कमाई और उसके चरित्र पर पति शक करने लगता है। इस परिस्थिति में पैदा हुए हालात, पति-पत्नी का झगड़ा और उसके बाद दोनों का मिलन इस फ़िल्म की थीम है। फिल्म में स्त्री-पुरुष समानता पर फोकस किया गया है।

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