सीकर के खाटू श्याम मंदिर में भगदड़, भीड़ ने 30 से ज्यादा लोगों को रोंदा, 3 महिलाओं की मौत, कई घायल

    मंदिर में पहले दर्शन करने को लेकर होड़ मची थी इसी कारण से भगदड़ मच गई। इस हादसे में 3 महिलाओं को भीड़ ने कुचल डाला। एकादशी के मौके पर खाटू श्याम के दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में लोग पहुंचे थे।

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    सीकर। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध खाटूश्याम मंदिर में सोमवार तड़के एक बड़ा हादसा हो गया। एकादशी पर श्याम बाबा के दर्शनों के लिए जुटी भीड़ में भगदड़ मच गई। भीड़ ने 30 से ज्यादा लोगों को रोंदा दिया। इनमें अनेक महिलाए व बच्चें भी शामिल थे। भगदड़ में गिरकर दबने से तीन महिलाओं की मौत हो गई। जबकि अनेक लोग घायल हो गए। हादसा मंदिर के प्रवेश द्वार के पास ही हुआ। जानकारी के अनुसार मृतकों में एक महिला की शिनाख्त हरियाणा की हिसार निवासी शांति (63)पत्नी प्रीतम के रूप में हुई है। जबकि दो की शिनाख्त के प्रयास किए जा रहे है। वहीं हादसे में करनाल हरियाणा निवासी इंदिरा देवी (55) पत्नी सुखबीर, अलवर की थानागाजी की गोला का बास निवासी अनोखी पत्नी सोहनलाल, रेवाड़ी निवासी शिवचरण पुत्र रिशाल व मनोहर पत्नी सांवरमल घायल हो गए। जिनमें शिवचरण को गंभीर हालत होने पर जयपुर रेफर किया गया है।

    30 से ज्यादा श्रद्धालु दबे, महिलाएं व बच्चे भी शामिल

    जानकारी के अनुसार हादसा सुबह करीब चार बजे हुआ। जहां एकादशी पर मंदिर के पट खुलते ही दर्शनों की होड़ में अचानक भीड़ का दबाव बढ़ गया। जिससे भगदड़ मच गई। हादसे में करीब 30 से ज्यादा बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग नीचे दब गए। जिन्हें भीड़ कुचलती हुई निकल गई।

    दो घंटे तक नहीं मिली मदद

    प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार भगदड़ में दबे लोगों के बचाव के लिए दो घंटे तक कोई मदद नहीं मिली। तब तक हताहत श्रद्धालु मौके पर ही घायल अवस्था में तड़पते रहे। बाद में पुलिस व प्रशासन की टीम ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया। लोगों का कहना था कि यदि समय पर मदद मिलती तो सभी श्रद्धालुओं की जान बचाई जा सकती थी।

    मंदिर कमेटी व प्रशासन काे नहीं था भीड़ का अंदाजा

    घटना में मंदिर कमेटी व स्थानीय प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। श्रद्धालुओं की भीड़ बढऩे पर भी मंदिर कमेटी ने रात 11 बजे ही मंदिर के पट बंद कर दिए। जिससे एकादशी के सुबह के श्याम दर्शनों के लिए मंदिर में भीड़ का दबाव लगातार बढ़ता गया। वहीं, भगदड़ जैसे हालातों से बचने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी प्रशासन ने नहीं किए। जिससे हताहतों को तुरंत मदद नहीं मिल पाई। हालांकि भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने मेला मार्ग जरूर लंबा कर दिया था। फिर भी मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर श्रद्धालुओं में खासा आक्रोश दिखा।

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