पुष्कर| ब्रह्म मुहूर्त में देवउठनी प्रबोधिनी एकादशी स्नान के साथ पुष्कर (Pushkar) का धार्मिक मेला शुरू हो गया। पंचतीर्थ स्नान के पहले दिन सवा लाख श्रद्धालुओं ने ब्रह्म सरोवर में डुबकी लगाई, जिनमें 70 प्रतिशत महिलाएं रहीं। महिलाओं ने Pushkar सरोवर में स्नान के बाद दीपदान किया। रविवार का अवकाश होने से भीड़ ज्यादा रही। सुबह 4 बजे से ही धर्मप्रेमी घाटों पर पहुंचने लगे। सुबह 9 बजे तक स्नानार्थियों की संख्या कम रही, लेकिन इसके बाद घाटों पर भीड़ बढ़ी और स्नान का सिलसिला शाम 4 बजे तक निर्बाध चला। मुख्य गऊघाट, ब्रह्म घाट, बद्री घाट एवं वराह घाट पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहा। राजस्थानी परिधान में सजी ग्रामीण महिलाएं मंगल गीत गाते हुए स्नान के लिए पहुंचीं। स्नानार्थियों ने सरोवर की पूजा की, परिक्रमा लगाई और ब्रह्मा मंदिर सहित प्रमुख मंदिरों में दर्शन कर दान-पुण्य किया।
इस बार एकादशी व द्वादशी तिथि एक ही दिन होने से पंचतीर्थ स्नान 5 की जगह 4 दिन का होगा। मेले का समापन 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर महास्नान के साथ होगा। सोमवार को त्रयोदशी तिथि पर दूसरा पंचतीर्थ स्नान होगा, जबकि मंगलवार को ब्रह्म चतुर्दशी पर संतों का शाही स्नान होगा।
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सभी देवी-देवता 5 दिन Pushkar में विद्यमान
पं. कमल नयन दाधीच ने बताया कि कार्तिक एकादशी से पूर्णिमा तक जगत पिता ब्रह्मा जी ने पुष्कर में यज्ञ किया था। इस दौरान 33 कोटि देवी-देवता पुष्कर (Pushkar) तीर्थ में विद्यमान रहते हैं। सरोवर में पंचतीर्थ स्नान मात्र से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और सभी तीर्थों की यात्रा का पुण्य मिलता है।
बाजारों में यातायात व्यवस्था बिगड़ी
एकादशी स्नान के लिए उमड़ी भीड़ से मुख्य गऊघाट, हलवाई गली, कपड़ा बाजार, ब्रह्मा मंदिर के बाहर, कपालेश्वर तिराहा सहित प्रमुख स्थानों पर श्रद्धालुओं की जेब कट गई। Pushkar यातायात व्यवस्था भी अस्त-व्यस्त हो गई। बांगड़ तिराहा, नायक कॉलोनी के बाहर सहित कई जगह जाम के हालात बने रहे। पुलिस और यातायात कर्मी दिनभर आवागमन सुगम बनाने में जुटे रहे।
ब्रह्मा-गायत्री का मनमोहक शृंगार
ब्रह्मा मंदिर में सुबह अभिषेक के बाद ब्रह्मा-गायत्री का मनमोहक शृंगार किया गया। मंदिर को फूल-मालाओं से सजाया गया। पुजारी कृष्णगोपाल वशिष्ठ ने बताया कि 5 नवंबर तक प्रतिदिन अभिषेक कर ब्रह्मा जी का अलग-अलग स्वरूप में शृंगार होगा। मंदिर दिनभर खुला रहेगा। उधर, दोपहर में कुछ देर लाइटें बंद रहने से निज मंदिर में अंधेरा हो गया, जिससे श्रद्धालुओं को ब्रह्मा जी के दर्शन में परेशानी हुई।
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