Makar Sankranti 2021: सूर्य पूजा से खुलेंगे सफलता के द्वार, ये है दान-पुण्य का शुभ मुहूर्त्त

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    Makar Sankranti 2021 : सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना वैदिक ज्योतिष के लिए महत्वपूर्ण है। सूर्यदेव जिस दिन धनु से मकर राशि में पहुंचते हैं उसे मकर संक्रांति कहा जाता हैं। सूर्य के मकर राशि में आते ही मलमास समाप्त हो जाता है। इसी दिन से ही देवताओं का दिन शुरू होता है, जो आषाढ़ मास तक रहता है। दक्षियायन देवताओं के लिए रात्रि का समय होता है। ठीक इसी समय से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है। मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन से सूर्यदेव उत्तर दिशा की ओर बढ़ना शुरू होते हैं।
    मकर संक्रांति को गुजरात में उत्तरायण, पंजाब में लोहड़ी पर्व, गढ़वाल में खिचड़ी संक्रांति और केरल में पोंगल के रूप में मनाया जाता है। वहीं सिंधी लोग इस त्योहार को तिरमौरी कहते हैं। इस अवसर पर गुजरात समेत कई राज्यों में पतंगें भी उड़ाई जाती है। इस समय से दिन बड़े और रात छोटी होने के साथ ही मौसम ठंडी से गर्मी की तरफ बढ़ने लगता है।

    पौराणिक दृष्टि से मकर संक्रांति का महत्व

    1- कपिल मुनि ने गुस्से में आकर राजा सागर के 60,000 पुत्रों को भस्म कर दिया था। मकर संक्रांति के दिन ही महाराज भगीरथ ने अपने भाइयों का तर्पण करके उन्हें गंगा स्नान द्वारा मुक्ति दिलवाई थी। इसीलिए, मकर संक्रांति के दिन प्रयागराज में गंगा, यमुना एवं सरस्वती के संगम पर माघ स्नान के पर्व का विशेष महत्व होता है।
    2- महाभारत काल के महान नायक भीष्म पितामह ने उत्तरायण के समय ही अपनी देह का त्याग किया।

    Makar Sankranti 2021 में कब है

    मकर संक्रांति का पर्व हर साल जनवरी के महीने में मनाया जाता है। 14 जनवरी, 2020 के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।

    मकर संक्रान्ति गुरुवार, जनवरी 14, 2021 को
    मकर संक्रान्ति पुण्य काल – सुबह 8:30 से शाम 5:46
    अवधि – 8 घंटे

    मकर संक्रांति कैसे मनाते है (How to Celebrate Makar Sankranti in Hindi)

    • इस दिन पावन नदियों में श्रृद्धापूर्वक स्नान करें। इसके बाद, पूजा-पाठ, दान और यज्ञ क्रियाओं को करें।
    • प्रातः काल नहा-धोकर भगवान शिव जी की पूजा तेल का दीपक जलाकर करें। भोलेनाथ की प्रिय चीजों जैसे धतूरा, आक, बिल्व पत्र इत्यादि को अर्पित करें।
    • सूर्यदेव को अर्ध्य दें। आदित्य हृदय स्तोत्र का 108 बार पाठ करें।
    • मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में सिद्ध सूर्य यंत्र को सूर्य मंत्र का जप करके पहनने से सूर्यदेव आपकी तरक्की की राह आसान बना देते हैं।
    • तिल युक्त खिचड़ी, रेवड़ी, लड्डू खाएं एवं दूसरों को भी खिलाएं।
    • ब्राह्मण को गुड़ व तिल का दान करें और खिचड़ी खिलाएं। कॅरियर और सोशल स्टेटस में प्रोग्रेस होगी।
    • वेदों में वर्जित कार्य जैसे कि दूसरों के बारे में गलत सोचना या बोलना, वृक्षों को काटना और इंद्रिय सुख प्राप्ति के कार्य इत्यादि कदापि नहीं करना चाहिए।
    • कैपेसिटी के अनुसार, जरूरतमंद को कंबल, वस्त्र, छाते, जूते-चप्पल इत्यादि का दान करें।
    • पुण्य पर्व है संक्रांति
    • भारतीय परंपरा और मान्यताओं के अनुसार, इस अवधि से शुभ कार्यों का श्रीगणेश प्रारंभ हो जाता है। देव प्रतिष्ठा, पूजा-अनुष्ठान, गृह प्रवेश, मैरिज, इंगेजमेंट, आदि मांगलिक कार्यों के लिए यह अच्छा समय है। इस समय सीजनल चेंजस की वजह से बीमारियां होने का खतरा अधिक रहता है। एेसे में तिल और गुड़ का सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है।

    ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा कहा गया है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, लीडरशिप, फिटनेस, गवर्नमेंट फील्ड, पिता व अधिकारियों की कृपा, कॅरियर सक्सेस और समाज में यश,मान और प्रतिष्ठा आदि चीजें सूर्य के शुभ होने पर ही संभव है। तो, रोज़ाना सूर्य पूजा जरूर करें।

    मकर संक्रांति के दिन की गई सूर्य उपासना सूर्य के कष्टों से मुक्ति दिलाकर आपको जीवन में यश, मान और सफलता दिलाती है।

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