Taj Mahal : जयपुर राजघराने की राजकुमारी सांसद दीया कुमारी का दावा- ताजमहल की जमीन हमारे पूर्वजों की, मुगलों ने किया था कब्जा

    राजस्थान के जयपुर राजघराने की राजकुमारी सासंद दीया कुमारी ने आगरा के ताजमहल को लेकर बड़ा दावा किया है। दीया कुमारी ने कहा है कि ताजमहल की जमीन उनके पूर्वजों की है, जिस पर मुगलों ने कब्जा कर लिया था

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    Taj Mahal पर छिड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब राजस्थान (Rajasthan) के जयपुर राजघराने (Jaipur Royal Family) से ताल्लुक रखने वाली बीजेपी सासंद दीया कुमारी (Diya Kumari) ने आगरा के ताजमहल (Taj Mahal) को लेकर बड़ा दावा किया है। दीया कुमारी ने दावा किया है कि ताजमहल की जमीन मुगलों की नहीं, बल्कि उनके पूर्वजों की है। उनका कहना है कि हमारे पास जो दस्तावेज हैं, उसमें यह एक पैलेस था। ताजमहल की जमीन पर शाहजहां ने कब्जा कर लिया था। आपको बता दें कि ताजमहल के तहखाने के कमरों को खोलने को लेकर हाईकोर्ट में जब से याचिका दायर की गई है, तब से ताजमहल से जुड़ा विवाद (Taj Mahal Controversy) गहराता जा रहा है।

    जयपुर रॉयल घराने की दीया कुमारी ने कहा कि इस बात पर इंक्वायरी जरूर होनी चाहिए कि जो बंद कमरे हैं, उनको खोला जाना चाहिए और यह जांच करनी चाहिए कि वहां क्या था और क्या नहीं था। जब जांच ठीक तरीके से होगा, तभी तथ्य स्थापित हो पाएगा।

    कोर्ट जमीन के दस्तावेज मांगे, तो पेश किए जाएंगे

    सांसद दीया कुमारी ने कहा कि अगर कोर्ट ताजमहल संबंधी दस्तावेज मांगता है तो जरूर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अच्छा है किसी ने आवाज उठाई और याचिका दायर की, उसके लिए अगर कोई भी जरूरत पड़ेगी या किसी दस्तावेज की आवश्यकता भी पड़ेगी तो वो उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि उन दस्तावेजों में ये है कि ताजमहल की जो जमीन थी, वो दीया कुमारी के पूर्वजों की थी और बाद में मुगल आक्रांताओं ने उस पर कब्जा कर लिया।

    इतिहासकारों का दावा- मानसिंह प्रथम की ‘मान हवेली’ पर बना है ताजमहल

    हिस्टोरियन डॉ. आनंद शर्मा अाैर प्रो. आरएस खंगारोत का दावा है, शाहजहां ने ताजमहल की जमीन के बदले आगरा में सरकार अधिकृत 4 हवेलियां आमेर नरेश को दीं। कोलकाता पत्रिका वैचारिकी जयपुर के इतिहासकार डॉ. आनंद शर्मा के 2020 में प्रकाशित शोधपत्र में बताया गया कि तामहल पहले राजपूत महल था, जिसमें मानसिंह प्रथम का निवास था। मुल्हा अब्दुल हमीद लाहौरी ने शाहजहां के आदेश पर बादशाहनामा लिखा था।

    इसे एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल ने फारसी से अनुवाद कर दो खंडों में प्रकाशित किया। इसके प्रथम खंड के पृष्ठ 403 की बाइसवीं लाइन में बेगम के अवेशेषों निकालकर आगरा लाने का उल्लेख है। इसके अगले पृष्ठ पर 23 से 41 वीं तक लाइन में उसके अवशेष लाने वालों के नाम आगरा के मानसिंह प्रसाद में दफनाने और भवन के बदले जयसिंह को जमीन आदि देने का उल्लेख किया गया है। उसमें यह बताया गया था कि प्रासाद का केंद्रीय भवन जो राजा मानसिंह प्रासाद के नाम जाना जाता है, बाद में उनके पाैत्र राजा जयसिंह के अधिकार में था। समकालीन इतिहासकार उस्ताद अहम लाहौरी व अबुल फजल के दस्तावेजों व फरमानों का अध्ययन कर निष्कर्ष पर पहुंचे हिस्टोरियन प्रो. आरएस खंगारोत कहते हैं, आगरा में आमेर के राजा मानसिंह प्रथम की ‘मान हवेली’ पर ही ताजमहल बना है। फारसी ऐतिहासिक स्रोतों से भी पता चलता है कि ताजमहल बनाने वाले शिल्पकार, कारीगर व मजदूर यहीं से भेजे गए। बेगम मुमताज के 6 जून 1631 को इंतकाल के बाद ताजमहल निर्माण की योजना बनी। तब आमेर के राजा मानसिंह प्रथम की ‘मान हवेली’ उनके पौत्र मिर्जा राजा जयसिंह प्रथम के अधिकार में थी।

    शिव मंदिर का दावा-बंद 20 कमरों को खोलने की मांग

    लखनऊ हाईकोर्ट में दायर याचिका में आगरा के ताजमहल को तेजोमहल होने का दावा किया गया है। याचिका में कहा गया है कि ताजमहल में शिव मंदिर है। इसके अलावा यहां सालों से बंद 20 कमरों को खोलने की मांग भी की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इन 20 कमरों के खुलने का ताजमहल का सच सबके सामने आ जाएगा।

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