राजस्थान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दिल्ली की एक स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार (12 नवंबर, 2025) को मजिस्ट्रेट के उस पुराने आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें जितेंद्र सिंह के खिलाफ शिकायत को खारिज कर दिया गया था। कोर्ट ने साफ कहा कि पूर्व मंत्री के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात (IPC धारा 406) के अपराध में कार्यवाही शुरू करने के लिए प्रथम दृष्टया पर्याप्त आधार मौजूद हैं।
यह मामला एक दुर्लभ एमएफ हुसैन की पेंटिंग से जुड़ा है, जिसकी कीमत 1 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है। शिकायतकर्ता रोहित सिंह महियारिया के मुताबिक, जितेंद्र सिंह ने अप्रैल 2014 में रोहित की मां और पूर्व सांसद डॉ. प्रभा ठाकुर से यह पेंटिंग उधार ली थी। सिंह ने वादा किया था कि वे इसे अपनी पत्नी को दिखाएंगे, जो हुसैन की कला की प्रशंसक हैं, और जल्द लौटा देंगे। लेकिन सालों बाद भी पेंटिंग वापस नहीं हुई। 2017 में सिंह ने दावा किया कि उन्हें पेंटिंग “मिल नहीं रही”।
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25 नवंबर को मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने के निर्देश
रोहित का आरोप है, “भंवर जितेंद्र सिंह ने उनकी मां से एम.एफ. हुसैन की यह पेंटिंग उधार लेते हुए कहा था कि वे इसे अपनी पत्नी को दिखाना चाहते हैं, जो हुसैन की पेंटिंग की प्रशंसक हैं।” अब इसी मामले में अदालत ने कहा कि मामले में प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी का अपराध नहीं बनता है। अदालत ने शिकायतकर्ता रोहित सिंह महियारिया और कांग्रेस नेता भंवर जितेंद्र सिंह को 25 नवंबर को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।
स्पेशल कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में फिर भेजा मामला
जज ने कहा कि पेंटिंग वापस न करना, झूठे वादे करना और बाद में लौटाने से साफ इनकार करना, यह सब विश्वासघात और सौंपे गए संपत्ति के दुरुपयोग को दर्शाता है। धारा 406 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। अदालत ने कहा कि निचली अदालत द्वारा यह निष्कर्ष निकालना कि पेंटिंग उपहार में दी गई, तथ्यों के विपरीत और अस्थिर है। इसलिए स्पेशल कोर्ट ने मामला पुनः विचार के लिए ट्रायल कोर्ट को भेज दिया और आदेश दिया कि ट्रायल कोर्ट अब इस मामले में कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई करे।
स्पेशल कोर्ट ने ये कही ये बात
दरअसल, मजिस्ट्रेट अदालत ने इस साल मार्च महीने में आदेश सुनाया था। इसी मामले में स्पेशल कोर्ट ने सुनवाई की। बुधवार (11 नवंबर) के आदेश में अदालत ने कहा, “रिकॉर्ड स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि संबंधित पेंटिंग प्रतिवादी को अप्रैल 2014 में केवल एक सीमित उद्देश्य के लिए सौंपी गई थी यानी उसे उन्हें अपनी पत्नी को दिखाने और उसकी खरीद पर विचार करने के लिए। इसमें स्वामित्व का कोई हस्तांतरण नहीं हुआ था।
आपराधिक विश्वासघात का मामला बनता है- कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि बार-बार मौखिक और लिखित अनुरोध के बावजूद सिंह द्वारा पेंटिंग वापस न करने, झूठे आश्वासन देने और अंततः उसे वापस करने से इनकार करने के बाद का आचरण, स्पष्ट रूप से सौंपी गई संपत्ति को बेईमानी से रखने और उसके दुरुपयोग को दर्शाता है। इससे भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के तहत आपराधिक विश्वासघात के तत्व पूरे होते हैं।
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