Kaal sarp dosh: कालसर्प दोष के लक्षण, कारण और निवारण

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    Kaal sarp dosh: जब किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है तो उसका जीवन चारों तरफ से बाधाओं से घिर जाता है। जब उस व्यक्ति को इसके बारे में पता चलता है तो वह कालसर्प दोष (Kaal sarp dosh) के निवारण, शांति के लिए तुरंत तैयार हो जाता है। लेकिन उससे पहले यह देखना आवश्यक है कि वाकई उस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष है भी या नहीं। जिससे वह व्यक्ति व्यर्थ की मानसिक और आर्थिक परेशानी से बच सकता है।

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    कालसर्प दोष क्या है | What is kaal sarp dosh

    जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं तो ज्योतिष शास्त्र में इस योग को काल सर्प दोष माना जाता है। इसके अलावा जब राहु एवं केतु उल्टी चाल चलते है तो भी कार्ल सर्प दोष माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह शुभ फल देने वाला होता है। ऐसी मान्यता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष लग जाता है उसे हर काम में असफलता मिलती है। उसे संतान संबंधी कष्ट का सामना करना पड़ता है। कई बार उसे संतान सुख से वंचित रहना पड़ता है। हर राशि के जातकों में कालसर्प दोष का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।

    काल सर्प दोष के लक्षण

    1.  ऐसे जातक को हर समय भ्रम बना रहता है, उसे ऐसा लगता है कि कोई उसे नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसा व्यक्ति मानसिक रोग से पीड़ित भी हो सकता है।
    2. संतान की ओर जातक को कष्ट मिलता है। ऐसा जातक को हर पल मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। ऐसा जातक आपराधिक मामलों में भी कई फंस जाता है।
    3. काफी मेहनत करने के बाद भी जातक को आर्थिक कष्ट झेलना पड़ता है। उसे अपनी मेहनत के अनुरूप प्रतिफल नहीं मिल पाता।
    4. काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति के विवाह में बाधा उत्पन्न होती रहती है। इस कारण जातकों के विवाह में देरी होती है।
    5. काल सर्प दोष वाला जातक भूत प्रेत-पिशाच बाधा से भी पीड़ित हो सकता है।
    6. ऐसे व्यक्ति को बुरे सपने दिखाई देते हैं। अक्‍सर सपने में उसे सांप दिखाई देते हैं। इसके अलावा सपने में किसी रिश्तेद्वार की मृत्‍यु को भी देखता है।

    कालसर्प दोष क्यों लगता है?

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    जब व्यक्ति की जन्म कुंडली में राहु और केतु की स्थिति आमने सामने होती है। दोनों 180 डिग्री पर आ जाते हैं। तो ऐसे में कालसर्प योग बनता है। यदि बाकी सात ग्रह राहु केतु के एक तरफ हो जाएं और दूसरी ओर कोई ग्रह न रहे, तो ऐसी स्थिति में कालसर्प योग बनता है। इसे ही कालसर्प दोष कहा जाता है।

    कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है?

    राहु- केतु की स्थिति के आधार पर 12 प्रकार के कालसर्प योग बनते हैं। kaal sarp dosh के कारण सूर्य सहित सभी सप्त ग्रहों की शुभफल देने की क्षमता समाप्त हो जाती है। इससे जातक को 42 साल की आयु तक परेशानियां झेलनी पड़ती है। उसके बाद कालसर्प दोष समाप्त हो जाता है।

    कालसर्प दोष कितने होते है

    ज्योतिषाचार्य के अनुसार, कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार का होता है, इसका निर्धारण जातक की कुंडली देखकर किया जाता है। कालसर्प दोष निम्न प्रकार का हो सकता है

    1. अनन्त कालसर्प दोष
    2. कुलिक कालसर्प दोष 
    3. वासुकि कालसर्प दोष 
    4. शंखपाल कालसर्प दोष
    5. पद्म कालसर्प दोष
    6. महापद्म कालसर्प दोष 
    7. तक्षक कालसर्प दोष 
    8. कर्कोटक कालसर्प दोष 
    9. शंखचूड़ कालसर्प दोष
    10. घातक कालसर्प दोष
    11. विषधर कालसर्प दोष
    12. शेषनाग कालसर्प दोष

    काल सर्प दोष की पूजा कहां होती है ?

    kaal sarp dosh निवारण के लिए काल सर्प पूजा का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। भारत में ऐसे कुछ निम्न मंदिर हैं जहां कालसर्प दोष के निवारण से संबंधित पूजा की जाती हैं। इन स्थानों पर कालसर्प की पूजा कराना फलदाई रहता है। इन मंदिरों के अलावा ज्योतिलिंगों में भी कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए पूजा करवाई जाती है।

    1. त्र्यंबकेश्वर मंदिर: यह मंदिर नासिक जिले में त्र्यंबक नामक स्थान पर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। काल सर्प दोष पूजन के लिए यह प्रसिद्ध मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर पूजा कराने के पश्चात कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।
    2. प्रयाग संगम: इलाहाबाद में पवित्र गंगा, यमुना व सरस्वती नदी के संगम को काल सर्प दोष के निवारण के लिए पूजा का उचित स्थान माना जाता है। पवित्र नदियों के संगम के दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
    3. त्रीनागेश्वरम वासुकी नाग मंदिर: यह मंदिर दक्षिण भारत में तंजौर जिले में स्थित है। जिस व्यक्ति के कुंडली में कालसर्प दोष होता है वह यहां पर पूजा कराने के पश्चात शांत हो जाता है।
    4. बद्रीनाथ धाम: चार धामों में एक बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यह स्थान भी कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए उत्तम माना गया है।
    5. त्रिजुगी नारायण मंदिर:केदारनाथ धाम से लगभग 15 किलोमीटर दूर त्रिजुगी नारायण मंदिर है। इस मंदिर में कालसर्प दोष निवारण के लिए पूजा कराई जाती है।

    कालसर्प दोष की पूजा कब होती है?


    कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए नागपंचमी के दिन सर्वोत्तम माना गया है। क्योंकि इस दिन नागों की पूजा का विधान है। इसलिए इस दिन कालसर्प दोष से ग्रसित जातकों को चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा भगवान शिव को अर्पित करने का विधान है इससे कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

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